बे- इंतहा मोहब्बत

 

तुम्हारे दर्द की ढेली बना कर
मुट्ठी में भींच ली है मैंने
वो क़तरा क़तरा फिसल रही है

बे- इंतहा मोहब्बत की है तुमसे
दर्द से ताल्लुक़
शायद इसलिए गहरा है...

शैल
July 18, 2017

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दिल भर आया है...