यह कैसा रिश्ता है

 

बाद मुद्दत के आज
यूँ रूबरू हुए उनसे
की साज़-ए-दिल पर
बज उठे बीते हुए नग़मे

मोहब्बत ने पूछा
कैसा रिश्ता है तुम्हारा
क्या बताएँ उसे
चोट उन्हें लगती है
दिल हमारा रोता है...

शैल
July 18, 2017

Previous
Previous

अश्क़-ए-अबर्

Next
Next

फ़ुरसत भी खलने लगती है