हसीं ख़्वाब मेरे…
वक़्त से कुछ लम्हे चुराकर
बंद आँखों पीछे छुपा लेती हूँ
फिर ले जाती हूँ उन्हें
ख़्वाबों की पनाह में
तुम वहीँ खड़े मिलते हो हमेशा
मदहोश निगाहों से
शौखियाँ लुटाते हुए...
शैल
August 16, 2017
वक़्त से कुछ लम्हे चुराकर
बंद आँखों पीछे छुपा लेती हूँ
फिर ले जाती हूँ उन्हें
ख़्वाबों की पनाह में
तुम वहीँ खड़े मिलते हो हमेशा
मदहोश निगाहों से
शौखियाँ लुटाते हुए...
शैल
August 16, 2017