ज़िन्दगी तेरी जुस्तजू

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इक बहके बिखरे ख़्याल ने ज़हन पर
कुछ इस तरह दी आज फिर दस्तक
कि खुश-फ़हमियाँ भली लगने लगीं
मौत को दामन में छुपा
रुकी-रुकी सी ज़िन्दगी
ख़्वाबों की पतवार पकड़
फिर रफ़्ता-रफ़्ता सरकने लगी...

शैल
March 14, 2018

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