लफ्ज़…

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तस्सवुर हैं ये मेरे
रोज़ बंद आँखों से ज़हन में उतरते हैं
स्याही से सफहों पर बैठाती हूँ इन्हें
लफ्ज़, जो तितलियों से उड़ते ही रहते हैं...

शैल
August 2, 2017

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