हाथों की लकीरों में

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हाथों की लकीरों में
वक़्त की तक़दीरों में
कुछ अंधेरे क़िस्से हैं
धूप के भी कुछ हिस्से हैं
लाखों ग़म हैं
पर ख़ुशियाँ भी नहीं कम हैं
हँसती आँखों में
छिपा लो आँसू
नन्हीं ऊँगलियों की रहल से झाँको
यहाँ हर पल नया मौसम है...

शैल
July 16, 2017

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