इक रोज़

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इक रोज़ दर्द के सिरहाने बैठ
हौले से पुचकारा उसे
वक़्त थम गया
यादें बिखर गयीं
शिकवा फुरक़त से नहीं था
कमबख़्त आस दग़ा दे गयी...

शैल
July 16, 2017

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