चार आने

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बनावटी कहकहों के शोरगुल में
खो गई है मासूम सी हँसी
भागती ज़िन्दगी की दौड़ में
कहीं पीछे छूट गया है सकून
पर मन आज भी ढूँढ रहा है
कागज़ की नाव पर
बारिश में बहाए
वो बचपन के चार आने...

शैल
September 27, 2017

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