तृष्णा…
तआक़ुब है अब्र की
पतझड़ मगर लम्बी है
फलक पर टिका अब्सार
चली आयी हूँ सेहराओं तलक
तृष्णा-लबी तरस रही है
चन्द बूंदों को
बेखबर यूँ कि
बरस रही हैं
वो मेरे ही आँगन मेँ…
अब्र...Cloud
तआक़ुब...Pursuit
फ़लक...Sky
अब्सार...Eyes
तृष्णा-लबी...Parched lips
सेहराओं...Desert
शैल
August 3, 2017