मैं आज मैं होना चाहती हूँ…

बिन सफर बिन मंज़िलों का
इक रास्ता होना चाहती हूँ
उफनती लहरों में डूबी
गुलाबी शाम होना चाहती हूँ
इक ज़िन्दगी होना चाहती हूँ
बिना रिवायतों और रिवाज़ों की
रेत पर दौड़ती, भागती, लिखती
ख्वाबों के निशां होना चाहती हूँ
मैं आज मैं होना चाहती हूँ…

January 27, 2022

Previous
Previous

बेवजह

Next
Next

Castle - On The Sands Of Time