हसरत
अश्क आबे रवां होते रहे
बुझी न दिल की तिश्नगी
लबों तलक आ मुकर गए शिकवे
ख़ामोशी भेस बदल हँसती रही
बिखर गईं ख्वाइशें, हसरतें धुआँ हो गईं
खुश्क अब्सारों से हर ख़ुशी आसमां हो गई
लबों ने छुपाई जो हकीकत, आँखों से अयां हो गई
उनकी इक हँसी की चाह में, उम्र तमाम रायगाँ हो गई...
अश्क: आँसू
आबे रवां: बहता पानी
तिश्नगी: प्यास
अबसार: आँख
अयां: प्रकट
रायगाँ: व्यर्थ
शैल
September 15, 2017