रात पश्मीने की

2011-12-30__let01.jpg
 

रात पश्मीने की ओढ़
सुकून ढूंढने मैं निकला
बस्ती में हर शख़्स
सर्द वीराने में था काँप रहा...

शैल
July 19, 2017

Previous
Previous

दिल-ए-नादान

Next
Next

सलामत रहे तू सदा