जाने किसकी है जुस्तजू…
गुलाबी सहर का बुझता आदाब है
ढलती शाम का आतिशी एहसास
बेताब रात की सुलगती आरज़ू
फिरता है आवारा सा
जाने किसकी है जुस्तजू
ये चाँद, जो दिखता है
कुछ तन्हा-तन्हा...
शैल
August 10, 2017
गुलाबी सहर का बुझता आदाब है
ढलती शाम का आतिशी एहसास
बेताब रात की सुलगती आरज़ू
फिरता है आवारा सा
जाने किसकी है जुस्तजू
ये चाँद, जो दिखता है
कुछ तन्हा-तन्हा...
शैल
August 10, 2017