दिलकश समां

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आज महकी महकी सी फ़िज़ा है
गुल भी निखरे निखरे हैं
हल्की हल्की बारिश है
बड़ा ही दिलकश समां है

तुम पास नहीं तो क्या
हर नज़ारे में तुम्हारा ही अक्स है
दिल की हर धड़कन में
तुम्हारी ही यादों का रक़्स है...

शैल
July 20, 2017

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उधड़ते-बुनते रिश्ते