दस्तक…

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देख रही थीं आँखें
टक-टक
लौहार के सधे हाथों से
पड़ती हथौड़े की हर चोट
ठक-ठक
जैसे तेरी यादें
बिना रुके
मेरे दिल पे
दे रहीं हों
दस्तक...

शैल
August 16, 2017

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