तेरी जुस्तजू

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मेरे साथ की उन्हें
आज भी है आरज़ू
ए वक़्त, ठहर ज़रा
ये लम्हा जी भर के जी लूँ...

शैल
July 21, 2017

 
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मेरी मोहब्बत की गिरफ्त
आसां न होगी सनम
इस कैद-ए-उल्फत से
रिहाई है मुश्किल...

शैल
July 21, 2017

 
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कभी यूँ ही चले आना
मेरे दिल के आँगन में
मुझसे ज़्यादा
खुद से मोहब्बत हो जायेगी...

शैल
July 21, 2017

 
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क्या मेरी यादों को बुलाकर
कहीं खो गए तुम
हिचकी तो आयी अभी
पर हिचकिचाते हुए...

शैल
July 21, 2017

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