यूँ नवाज़ा दर्द ने मुझे…
यूँ नवाज़ा दर्द ने मुझे
आँखें डूबती रही समंदर में
दिल किनारा ढूँढ़ता रहा
गरूर बहुत था
हुनर पे अपने
मुस्सविर, देख तेरी तस्वीर से
रंग उड़ने है लगा
मेरी वफाओं का तूने
अच्छा सिला दिया
शीशे से नाज़ुक दिल पर
पत्थर उछाल दिया
खिज़ा को अपने
पहलु में छुपाकर
फ़िज़ा का हर रंग
जा तेरे नाम किया...
शैल
August 21, 2017