भीगी यादें…
पुरानी किताब के पन्नों से
आज इक खत गिरा
यादों की धुंदली स्याही में डूबा हुआ
उस रोज़, खत को सीने से लगाकर
देर तक रोई थीं आँखें
आज भी ज़मीन से खत उठाते हुए
भीग गयी थीं आँखें...
शैल
July 23, 2017
पुरानी किताब के पन्नों से
आज इक खत गिरा
यादों की धुंदली स्याही में डूबा हुआ
उस रोज़, खत को सीने से लगाकर
देर तक रोई थीं आँखें
आज भी ज़मीन से खत उठाते हुए
भीग गयी थीं आँखें...
शैल
July 23, 2017