तिनका-तिनका जोड़

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तिनका-तिनका जोड़
आशियाँ बना लूँ पहले
फिर इत्मिनान से
बसर करूँगा
बाक़ी बची ज़िन्दगी उसमें

यही सोच
मैं रोज़ सुबह उड़ता रहा
तिनका-तिनका जोड़ता रहा
ज़रूरतें बड़ती रहीं
उम्र घटती रही

रफ़ता-रफ़ता गुज़र रही ज़िन्दगी में
कब मैं, मुसाफ़िर बन गया
पता ही ना चला...

शैल
July 19, 2017

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